ऋषिकेश। ऋषिकेश के बस अड्डे के प्रांगण में स्थित एक दुकान का मामला हाईकोर्ट में लंबित है। हाईकोर्ट ने दुकानदार को यथास्थिति का स्टे दिया हुआ है। इसके बावजूद ऋषिकेश नगर निगम के अधिकारी और कर्मचारी पूरी टीम के साथ आज दुकान को तोड़ने पहुंच गए। लेकिन अन्य दुकानदारों के विरोध के बाद पूरी टीम को वापस लौटना पड़ा। खास बात यह है कि दुकान स्वामी ने 2017 में नगर पालिका ऋषिकेश में अपनी इस दुकान के लिए 17:50 लाख रुपए जमा कराए हुए हैं। उसके बाद ही पालिका से दुकान का उन्हें आवंटन हुआ था।
दुकान स्वामी नरेंद्र रतूड़ी ने बताया कि उन्होंने वर्ष 2017 में नगर पालिका में 1750000 रुपए जमा करके ऋषिकेश के बस अड्डे के कैंपस में एक दुकान के लिए जगह ली थी। यह आदेश पालिका की ओर से ही हुआ था।
उन्होंने बताया कि इसके बाद जब पालिका बोर्ड भंग हुआ नगर निगम बना तो अब अधिकारी उनकी दुकान को अतिक्रमण में मान रहे हैं और उसको तोड़ने की बात कर रहे हैं। रतूड़ी के मुताबिक उनकी दुकान का मामला हाईकोर्ट में लंबित है और हाई कोर्ट से उन्हें स्टे मिला हुआ है इसलिए ऋषिकेश निगम की ओर से उनकी दुकान को नहीं तोड़ा जा सकता।
रतूड़ी ने बताया इसके बावजूद अधिकारी और कर्मचारी जेसीबी के साथ कोर्ट की अवमानना करने की नियत बनाकर उनकी दुकान तोड़ने पहुंचे। इस पर मौके पर आसपास की काफी संख्या में दुकानदार इकट्ठे हो गए और रतूड़ी के वकील भी मौके पर पहुंच गए।
नरेंद्र रतूड़ी ने बताया कि उन्होंने मौके पर अधिकारियों को अन्य अतिक्रमण की हुई दुकानों को भी दिखाया लेकिन उस तरफ अधिकारियों ने कोई ध्यान नहीं दिया। इसके बाद विरोध को देखते हुए पूरी टीम वापस लौट गई।
इस अवसर पर नरेंद्र रतूड़ी के साथ विरोध करने वालों में परिवहन महासंघ के अध्यक्ष सुधीर राय, आशुतोष शर्मा, नवीन रमोला, मदन कोठारी, ऋषिकेश भाजपा मंडल अध्यक्ष दिनेश सती, पूर्व जिलाध्यक्ष ज्योति सजवान, निगम पार्षद, चेतन चौहान, देवेंद्र प्रजापति, सुमित पवार, शिव कुमार गौतम, राजेश कुमार, हरीश तिवारी, अजीत सिंह गोल्डी, भूपेंद्र राणा, सोनू जायसवाल, पदम सिंह, सुनील चौहान आदि शामिल रहे।