देहरादून। इन दिनों फेसबुक पर एक वीडियो चल रहा है। वीडियो में उत्तराखंड के लोगों को अपनी गढ़वाली और कुमाऊंनी भाषा के प्रति जागरूक करते हुए फिनलैंड निवासी गिरीश पंत विभिन्न देशों का उदाहरण भी देते हैं जो अपनी स्थानीय भाषा को प्राथमिकता देते हैं।
गिरीश पंत अपने वीडियो में कहते हैं कि वह पेशे से इंजीनियर रहे हैं और 40 साल से फिनलैंड में निवास कर रहे हैं। वे यह भी कहते हैं कि उन्हें जौलीग्रांट स्थित हिमालयन इंस्टिट्यूट के संस्थापक स्वामी राम का सानिध्य प्राप्त रहा है और वह स्वामी राम और विजय धस्माना को भी बहुत मानते हैं।
अपने वीडियो में मूल रूप से पौड़ी गढ़वाल के रहने वाले गिरीश पंत कहते हैं कि उन्होंने अब तक जर्मनी, नॉर्वे, स्वीडन सहित विभिन्न स्थानों पर काफी काम किया है। वह बार-बार विशेषकर उत्तराखंड की नई पीढ़ी को अपनी मातृभाषा के प्रति समर्पित रहने पर जोर देते हैं।
उनका कहना है कि चाहे आप अंग्रेजी भाषा में बात करें या किसी अन्य भाषा को आपको बोलना पड़े। लेकिन अपनी उत्तराखंड की भाषा गढ़वाली और कुमाऊंनी को कभी ना भूलें और उसको जरूर अपनाएं।
गिरीश पंत अपने वीडियो में युवाओं को संबोधित करते हुए कहते हैं कि वह पौड़ी में फुटबॉल खेलते थे। गुल्ली डंडा भी उन्होंने खूब खेला और कंचे भी उन्होंने गलियों में खेले हैं। यहां की खुशबू अभी भी उनके मन में बसी है। इसीलिए वह बार-बार कुछ कुछ समय के अंतराल के बाद अपनी वीडियो बनाकर उत्तराखंड की नई पीढ़ी को अपनी भाषा अपनी संस्कृति से जुड़े रहने का आह्वान कर रहे हैं।