देहरादून। उत्तराखंड की भाजपा सरकार ने दिसंबर 2021 में राज्य आंदोलनकारियों के चिह्नीकरन के आदेश दिए थे। उस पर पूरे प्रदेश में आंदोलनकारियों के चिह्नीकरन की कार्रवाई शुरू हुई थी और तमाम जगह से उनके आवेदनों को लेकर जिला प्रशासन स्तर पर काम शुरू किया गया। आंदोलनकारियों की फाइनल सूची भी तैयार कर ली गई। लेकिन अभी तक उनके परिणाम कुछ नहीं निकले हैं।
राज्य की लड़ाई लड़ने वाले आंदोलनकारी खुद को हताश महसूस कर रहे हैं क्योंकि ऐसे तमाम आंदोलनकारी हैं जिनकी उम्र बढ़ती जा रही है और अभी तक तमाम सरकारी औपचारिकताएं पूरी करने के बावजूद उन्हें सरकार की ओर से राज्य आंदोलनकारी का दर्जा नहीं दिया गया है।
दूसरी तरफ उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी मंच राज्य आंदोलनकारियों की मांगों को लेकर लगातार सरकार के समक्ष अपनी मांगें रख रहा है, जिम में सरकारी नौकरियों में 10 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण की मांग भी प्रमुख है। इसको लेकर भी सरकार ने अभी तक कोई स्पष्ट आदेश जारी नहीं किया है।
ऐसे में दिसंबर 2021 के तमाम चिन्हित आंदोलनकारी भी इस आशा में बैठे हैं कि अब सरकार का आदेश हो और उनकी भी पेंशन का रास्ता खुले।
इस मामले में प्रदेश की भाजपा सरकार को जरूर ध्यान देना चाहिए क्योंकि जिन आंदोलनकारियों के कारण आज सभी सत्ता में सुख भोग रहे हैं उनकी जायज मांगों को नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए।