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Tuesday, December 10, 2024
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Lockdown लगे लेकिन रोज खाने-कमाने वालों की रोटी का भी रखा जाए ध्यान, नहीं तो वैसे भी मरना और वैसे भी मरना

 

देहरादून। कोरोना संक्रमण जिस तेजी के साथ फैल रहा है, उसमें कोई दो राय नहीं कि सरकार को संपूर्ण लॉकडाउन जैसे कड़े निर्णय लेने पड़े। लेकिन यदि पूरी तरह से lockdown किया जाता है तो ऐसे तबके की रोजी रोटी का ख्याल रखने के लिए कोई योजना जरूर बनाई जानी चाहिए। अन्यथा रोज खाने कमाने वालों का क्या होगा। उन्हें कोरोना हुआ तो तब भी मरेंगे नहीं हुआ तो बिना रोटी के मर जाएंगे। इसलिए ऐसी व्यवस्था की जाए कि जिससे उनके थोड़े काम धंधे भी चलते रहें और रोज की आमदनी होती रहे।

इसके लिए यह व्यवस्था की जा सकती है कि काफी संख्या में पुलिस फोर्स को सड़कों पर उतारा जाए और सख्ती के साथ मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कराया जाए लेकिन रोजमर्रा के काम पर प्रभाव ना पड़े इसका भी ध्यान दिया जाए। पुलिस की सख्ती से लोग मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करेंगे साथ ही यदि कोई कोताही बरतना है तो उसका चालान और मुकदमे की कार्रवाई की जानी चाहिए।

कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर वास्तव में बहुत खतरनाक है यह अब तक के पूरे देश के आंकड़े बता रहे हैं। जो खबरें आ रही हैं उनके मुताबिक ऑक्सीजन की भी भारी कमी है। लेकिन अच्छी खबर उत्तराखंड के लिए यह है कि यहां पर सरकार की ओर से ऑक्सीजन पूरी मात्रा में होने का दावा किया जा रहा है। लेकिन सरकार में बैठे हमारे नीति निर्धारकों को इस और जरूर पुख्ता योजना बनाने पर ध्यान देना चाहिए कि लोगों की आमदनी का जरिया भी खत्म ना हो और कोरोना से बचाव के पूरे उपाय भी कर लिए जाएं। ऐसे टाइम पर यही देखा जाता है कि किस प्रकार से प्लानिंग की जा रही है नहीं तो संपूर्ण लॉकडाउन तो लगाया ही जा सकता है। लेकिन जिनके पास कुछ पैसों की सेविंग है उनका बचाव तो हो जाएगा पर बाकियों का क्या होगा। पिछले साल की तरह अभी तक कोई भी संस्था मुफ्त राशन बांटने के लिए आगे नहीं आई है हालांकि इस समय राशन से ज्यादा ऑक्सीजन सिलेंडर की लोगों को जरूरत है। फिर भी इस समय सरकार का बहुत बड़ा रोल सामने आ जाता है। खास तौर पर हमारी नौकरशाही को महत्वपूर्ण भूमिका निभानी होगी और एक अच्छी योजना बनाकर सरकार के सम्मुख प्रस्तुत करें जिससे यदि कोना संक्रमण लंबा खींचता है तो ऐसे में किसी के सामने आजीविका का संकट ना आए। अभी तक लोगों के सामने खर्चे बरकरार हैं चाहे वह बिजली पानी के बिल, बैंकों की किस्ते हो, स्कूलों की फीस हो, राशन पानी हो सभी उनको चुकता करना ही है लेकिन आमदनी का जरिया धीरे-धीरे खत्म होता जा रहा है जबकि सरकारी नौकरी करने वालों के सामने किसी प्रकार की दिक्कत नहीं है इसलिए इस संकट की घड़ी में यह जरूरी हो जाता है कि लॉकडाउन को यदि सरकार बढ़ाती भी है तो एक अच्छा निर्णय ऐसा भी लिया जाना चाहिए जिससे आर्थिकी के संकट से जूझने वालों को कोई रोशनी की किरण भी दिखाई दे।

 

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