देहरादून। श्री अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्री श्री 108 महंत रविन्द्र पुरी महाराज के पावन सानिध्य में श्री मद भागवत कथा ( पितरों के मोक्ष निमित्त) का आयोजन श्री अभय मठ शक्ति पीठ मंदिर लक्ष्मण चौक देहरादून के तत्वाधान में हो रहे भागवत सप्ताह में आज चतुर्थ दिवस की कथा में व्यास जी ने बताया कि भगवान श्री कृष्ण का देवकी के पुत्र के रूप में जो अवतार हुआ वो सोलह कलाओं का प्रेमावतार हुआ।
उन्होंने नंदग्राम व वृंदावन में जाकर जो यशोदा के लाल के रूप में नटखट लीलाएं की उनका वर्णन अपरंपार है। भगवान कृष्ण ने अपनी लीलाओं से संसार में और अपने जीवन में प्रेम अपनाने का संदेश दिया।
प्रेम संसार में व्याप्त दुखों को दूर करता है व्यास जी ने हिरणकश्यप उनके पुत्र भक्त प्रहलाद के लिए नरसिंह अवतार की कथा वर्णन किया और कहा भगवान भक्त वत्सल है और भक्तो की पुकार सुनकर भागते हैं।
श्री राम की प्रतीक्षा शबरी का वर्णन सुनाते हुए व्यास जी बताया कि सेवक को ऐसी सेवा करनी चाहिए कि सेवा दिखाई ना दे नही तो अभिमान हो जाता है । *मानव जन्म अत्यंत दुर्लभ है , इसी जन्म में भगवत प्राप्ति हो सकती है। भावपूर्ण भजनों पर भक्तगण भाव विभोर हो गए।
समुद्र मंथन की कथा सुनाते हैं व्यास जी ने कहा किस प्रकार समुद्र मंथन में निकले विष को भोलेनाथ बाबा कंठ रख लिया और फिर नीलकंठ महादेव कहलाए। आज श्रीकृष्ण जन्म के शुभ अवसर पर व्यास जी और कीर्तन मंडली ने साथ सभी माखन –मिश्री – पंजीरी व विभिन्न प्रकार के व्यंजनों का भोग लगाकर आरती कर बाल रूप कृष्ण को प्रसन्न किया।
इस अवसर पर टपकेश्वर महादेव के श्रीमहंत किशन गिरि महाराज, भगवंत पुरी महाराज, रवि गिरि महाराज, प्रशांत शर्मा, महिला मंडल से रेखा बंसल, मनु गुप्ता आदि भक्तजन उपस्थित रहे।