बधाई हो ! आनंदम की ‘ भाजी ‘ लाई खुशियों की सौगात
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बिटिया की शादी हो या हो बेटे की घुड़चढ़ी। हम तो लाएंगे आनंदम की ‘ भाजी ‘।
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जी हां, हम बात कर रहेे हैं उस आनंदम की, जिस आनंदम के परिवार ने दशकों से दून वासियों के साथ पारिवारिक रिश्ते निभाते हुए ‘ भाजी ‘ और अपनी मिठाइयों के साथ लोगोंं के दिलों में जगह बनाई है। देहरादून के मोती बाजार से गुप्ता नमकीन भंडार के नाम से शुरुआत करते हुए आज आनंदम एक ब्रांड बन चुका है जो दून की चारों दिशाओं में अपनेे ग्राहकों को एक परिवार मानते हुए उन्हें खुशियों के मौके पर रिश्तो की मिठास उपलब्ध करा रहा है। यही कारण है कि दून वासियों के घरोंं मे जब भी शादियों का माहौल होता है तो कई प्रकार के इंतजाम किए जाते हैं। उनमें दूल्हा-दुल्हन की साज-सज्जा, कैटरिंग से लेकर शादी के आकर्षक कार्ड छपवाने तक के काम की जिम्मेदारी सबको अलग-अलग दे दी जाती है। लेकिन जब रिश्तेदारों को ‘ भाजी ‘ देने केेे बारे में परिवार सोचता है तो सब के मुंह पर एक ही बात आती है ‘ भाजी तो हम आनंदम की ही देंगे ‘। दून वासियों के इस विश्वास को बनाए रखने और उनके दिलों में अपनी जगह बनाने वाले आनंदम के सभी के साथ भावनात्मक रिश्ते हैं। इसीलिए हम कहते हैं आनंदम की ‘ भाजी ‘ केवल ‘ भाजी ‘ नहींं है बल्कि यह वह मिठास है जो पहलेे के जमाने में हलवाई के पास बैठकर मामा या कोई रिश्तेदार ‘ भाजी ‘ बनवाते थे और उस ‘ भाजी ‘ की सभी रिश्तेदारों में खूब तारीफ होती थी। लेकिन समय के साथ अब काफी बदलाव आ गया है परंतु आज भी वही अपनापन और भावनाओं के साथ रिश्तो को संजोने काम काम करती है आनंदम की ‘ भाजी ‘। आनंदम प्रतिष्ठान की ओर से ‘ भाजी ‘ बनाते समय केवल एक मिठाई बनाना ही नहीं समझा जाता है बल्कि उसके साथ स्वयं आनंदम परिवार के मुखिया का भी भावनात्मक लगाव रहता है। ‘ भाजी ‘ बना रहेे मुख्य कारीगरों केेेेेे बीच आकर उनको समझाना और ‘ भाजी ‘ की उच्च गुणवत्ता को बनाए रखनेे का काम आनंदम परिवार बखूबी करता है। जैसे परिवार के बड़ेे सदस्य बच्चों की शादी में जिम्मेदारियां निभा रहे होते हैं। उसी तरह आनंदम की ‘ भाजी ‘ में भी मिठास और अपनेपन का एहसास उभरता है। परिवारों में जब सदस्य किसी मिठाई का पहला टुकड़ा खाते हैं तो उन्हें स्वाद का आनंद लेते देख बड़े-बुजुर्गोंं को अपार खुशी मिलती है। यही वह पल होते हैं, जिन्हें हम रिश्तो का नाम देते हैं और इन्हींं लम्हों को ‘ भाजी ‘ के साथ एक सूत्र में पिरोने का काम कर रहेे हैं आनंदम परिवार के मुखिया और उनके सदस्य। खास बात यह हैै कि दूनवासी भी हर खुशी के अवसर पर आनंदम की मिठाइयों को ही प्राथमिकता देेते हैं। क्योंकि उन्हें ‘ शुभ ‘ के साथ आनंदम से एक अपनेपन का एहसास लगता है। आज भी आनंदम की ‘ भाजी ‘ और मिठाइयां लेने वालों में दून के ऐसेेेेेेे परिवार भी शामिल हो चुके हैं, जिनकी तीसरी पीढ़ी आनंदम की मिठाइयों केे बिना अपनेेेेे परिवार की खुशियों को पूरा नहींं मानती हैं। इसी प्रकार आनंदम की ओर से भी अपने ग्राहकों का विश्वास कायम रखते हुए उन्हें उच्च गुणवत्ता वाली चाहे वह ‘ भाजी ‘ हो या कोई अन्य मिठाई प्रदान की जाती है। यही कारण है कि आज आनंदम ‘ मिठास खुशियों की ‘ एक ब्रांड बन गया है। यहां तक कि देहरादून के अलावा पूरे उत्तराखंड मेंं भी आनंदम ने अपनी पहचान बनाई है। पहाड़ों में अधिकांश खुशियोंं के अवसरों पर आनंदम की मिठाइयों को पसंद किया जाता है। आनंदम की मिठाइयों की प्रसिद्धि का इसी बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि परिवारोंं के बीच आनंदम ने अपनी जगह तो बनाई ही है साथ ही अधिकांश दूूनवासी जब भी शहर से बाहर कहीं अपनी रिश्तेदारी में जाते हैं तो वहां भी आनंदम की मिठाई ले जानेे को ही प्राथमिकता देते हैं। उन्हें इस बात से अत्यधिक खुशी होती है और विश्वास रहता है कि वे अपने शहर की प्रसिद्ध मिठाई अपने रिश्तेदारोंं के घरों पर ले कर जा रहे हैं। यह खुशी उनकी तब ओर भी दोगुनी हो जाती है, जब रिश्तेदार भी आनंदम की मिठाई और ‘ भाजी ‘ के स्वाद की चर्चा करते हैं।
—- indresh Kohli —-