देहरादून। उत्तराखंड आईएएस एसोसिएशन ने अपनी गरिमा का ख्याल रखते हुए बिना नाम लिए पूर्व मुख्यमंत्री और हरिद्वार सांसद त्रिवेंद्र सिंह रावत के बयान पर नाराजगी जताई है। एसोसिएशन के अध्यक्ष आनन्दबर्द्धन की अध्यक्षता में आज हुई बैठक में एसोसिएशन ने सभी से सम्मानजनक व्यवहार की अपेक्षा की है।
बैठक में पारित प्रस्तावों की जानकारी सचिव दिलीप जावलकर ने मीडिया को दी। बैठक में कहा गया कि एसोसिएशन के सदस्यों को भी आम नागरिकों की भांति आत्म सम्मान, गरिमा का अधिकार सहज और स्वाभाविक रूप से प्राप्त है। किसी व्यक्ति, पदाधिकारी, संस्था, संगठन को भरसक ऐसे कथनों, संकेतों से बचना चाहिए, जिससे संगठन के सदस्यों व उनके परिवार का आत्मसम्मान आहत होता हो, उनके स्वाभिमान को ठेस पहुंचती हो। ऐसी मनोदशा में एसोसिएशन के सदस्यों का मनोबल क्षीण होता है, वहीं हतोत्साहित परिवेश में एसोसिएशन के सदस्यों की दक्षता, कार्य-क्षमता, डिलीवरी पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ना स्वाभाविक है।
एसोसिएशन के सदस्य लोक सेवक के रूप में निर्वाचित सरकारों की नीतियों को संवैधानिक दायरे में व्यावहारिक रूप देते हुए प्रभावी तरीके से धरातल पर लागू करते हैं। व्यवस्था को स्थिरता, निरंतरता प्रदान करते हुए तटस्थता, अनामता के सिद्धांत को दृढ़ता से बनाए रखना मशीनरी का मूल स्वभाव है।
एसोसिएशन किसी भी प्रकार की आलोचना, असहमति, निंदा को आत्म सुधार के अवसर के तौर पर लेता है। रचनात्मक आलोचना भविष्य की नीतियों को आधार प्रदान करती है यदि नीतियों के क्रियान्वयन में कहीं त्रुटियां कमियां परिलक्षित होती हैं तो उनके निराकरण हेतु पृथक् से व्यवस्था निर्धारित की गई है। जहां भी कमियां इंगित होती हों, यथासंभव निर्धारित प्रक्रिया का अनुसरण किया जाना चाहिए।
एसोसिएशन ने समाज के सभी पक्षों से एसोशिएसन व उसके सदस्यों के प्रति व्यक्ति की गरिमा, आत्मसम्मान के अधिकार को अक्षुण्ण बनाए रखने के लिए सम्मानजनक व्यवहार की अपेक्षा की है। एसोसिएशन की ओर से मुख्यमंत्री एवं मुख्य सचिव को ज्ञापन देने का निर्णय लिया गया।
गौरतलब है कि पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने उत्तराखंड में खनन के मामले में खनन सचिव IAS बी के संत के स्पष्टीकरण के बाद एक टीवी चैनल को दिए बयान में कहा था ‘ शेर कुत्तों का शिकार नहीं करता ‘ पूर्व सीएम के इस बयान की हर तरफ निंदा हो रही है।