देहरादून। उत्तराखंड में सीएम-सीएम का खेल चल रहा है। आज इसमें एक नया अध्याय और जुड़ गया। अब मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत के इस्तीफा देने के बाद तमाम तरह की सियासी अटकलों का दौर शुरू हो गया है। राज्यपाल को इस्तीफा सौंपने के बाद चुने गए विधायकों में से ही अब किसी और को मुख्यमंत्री की कमान सौंपी जा सकती है। या फिर दूसरा एक विकल्प ऐसा है कि भाजपा को अपनी सरकार यानी विधायक दल का इस्तीफा दिलाना होगा। ऐसे में राज्यपाल उन्हें विधानसभा चुनाव होने तक प्रदेश की कमान संभाले रहने के बारे में कह सकते हैं। इसके बाद चुनाव कराने का जिम्मा इलेक्शन कमीशन के हाथ में आ जाएगा।
भाजपा आलाकमान इन तमाम तरह की तैयारियों पर चर्चा कर चुका होगा। उसके बाद ही सीएम तीरथ सिंह रावत से इस्तीफा लिया गया है। क्योंकि तकनीकी तौर पर तीरथ अपना उप चुनाव नहीं लड़ पा रहे हैं। इसीलिए उनका इस्तीफा लेने के बाद यह बात सामने आ रही है कि किसी अन्य विधायक को चुनाव तक मुख्यमंत्री बनाकर तैयारी की जाए।
दूसरी तरफ राजनीतिक विश्लेषक यह भी मानते हैं कि यदि आप पार्टी और कांग्रेस की चुनावी तैयारियों को देखा जाए तो इस समय आप पार्टी ज्यादा मजबूत दिखाई दे रही है। अगर यही स्थिति रही तो विधानसभा चुनाव आते-आते आप पार्टी भाजपा को तगड़ा डेंट देने की स्थिति में आ सकती है।
इसलिए हो सकता है कि भाजपा मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत का इस्तीफा दिलाने के साथ ही विधायक दल का भी इस्तीफा दिलाने की और बढ़ते हुए प्रदेश में राष्ट्रपति शासन की पहल करा दे। यदि इस विकल्प पर भाजपा को आगामी चुनाव में लाभ मिलता होगा तो इस पर भी तैयारी भाजपा की हो सकती है।
इस मामले में वरिष्ठ अधिवक्ता मनोजीत सिन्हा से संपर्क करने पर उनका कहना था कि लीगली तौर पर भाजपा के पास दो ही विकल्प बचते हैं क्योंकि तीरथ सिंह रावत को उप चुनाव नहीं लड़ाया जा सकता है। ऐसे में उनका इस्तीफा देना जरूरी हो जाता है। अब यह भाजपा हाईकमान के हाथ में है कि वह इस एपिसोड को कैसे आगे लेकर जाती है। या तो किसी और सीनियर विधायक अथवा किसी युवा विधायक पर भी भाजपा सीएम की मोहर लगाकर एक नया संदेश देते हुए उसके दम पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर सकती है।
वरिष्ठ अधिवक्ता सिन्हा कहते हैं कि दूसरा विकल्प यह बचता है कि तीरथ अपना इस्तीफा देने के साथ ही विधायक दल का इस्तीफा भी राज्यपाल को सौंपते हैं तो ऐसे समय में प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लागू होने की परिस्थितियां बन जाती हैं और चुनाव कराने का मामला इलेक्शन कमीशन के हाथ में आ जाता है लेकिन तब तक तीरथ ही कार्यकारी मुख्यमंत्री के तौर पर बने रह सकते हैं। अब यदि ऐसे में भाजपा हाईकमान को लगता है कि दूसरा विकल्प लेकर चुनाव आसानी से जीता जा सकता है तो वह इससे पीछे नहीं हटेगी।