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रियल एस्टेट ‘ गुरु ‘ संजय गर्ग का साधारण सी कैंटीन चलाने से लेकर अब तक का सफर
( प्वाइंटर )
* कोरोना काल में भी बेचे 1500 फ्लैट
* हर कर्मचारी के घर जलता रहा चूल्हा
* नेक नियति से ही मिलती है सफलता
* 100 उत्साही लोगों की टीम है साथ
सपने सच होते हैं …. यह डायलॉग हम फिल्मों में सुनते हैं और किताबों में पढ़ते हैं। लेकिन क्या आपको मालूम है दिल से देखे गए सपने वाकई सच होते हैं। लेकिन इसके लिए हद से गुजर जाने वाली कोशिश जरूर करनी पड़ती है। जी हां, ऐसे ही एक बड़े सपने को साकार किया आपके शहर देहरादून के एक लड़के संजय गर्ग ने। कभी देहरादून में साधारण से कैंटीन चलाने वाल वाले संजय को भी नहीं पता था कि वह एक दिन रियल एस्टेट के ‘ गुरु ‘ कहलायेंगे। आज उनकी टीम में उत्तराखंड सहित आसपास के 10 ऑफिसों में उन्हीं की तरह लगभग 100 उत्साही लोग काम कर रहे हैं। सहस्त्रधारा क्षेत्र में पेसिफिक गोल्फ के नाम से अब तक वह सैकड़ों फ्लैटों की बिक्री कर चुके हैं। अब 185 करोड़, 200 करोड़ और 90 करोड़ के तीन नए प्रोजेक्ट वह लॉन्च करने वाले हैं। 8 नवंबर को आज अपने जन्मदिन के अवसर पर अपने सफर के महत्वपूर्ण पलों को संजय गर्ग ने अमर उजाला के साथ भी शेयर किया।
दूसरों के लिए बने प्रेरणास्रोत
दूसरों के लिए प्रेरणा स्रोत बने संजय गर्ग ने एक आम आदमी की तरह जीवन की सभी कठिनाइयों से जूझते हुए कड़ी मेहनत के साथ, रियल एस्टेट के क्षेत्र में बहुत बड़ा नाम कमाया है। लेकिन उनका बड़प्पन है कि कभी उन्होंने अपने नाम के लिए काम नहीं किया बल्कि अपनी टीम के संग, लगन के साथ काम करते हुए उन्होंने अब तक सैकड़ों लोगों को उनके खुशियों के फ्लैट दिए हैं। खास बात यह है कि जब पिछले दो साल में पूरी दुनिया कोरोना से त्राहिमाम कर रही थी। उस काल में भी उन्होंने फ्लैट बेचे। ऐसे समय में भी इतनी बड़ी उपलब्धि हासिल करने के लिए लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी उनका प्रपोजल गया है।
मन तो टूटा लेकिन हिम्मत नहीं हारी
संजय गर्ग ने हमसे बातचीत में अपने ऐसे खास पलों को शेयर किया, जिन्हें वह अपने जीवन में आगे बढ़ने की प्रेरणा मानते हैं। देहरादून के ही डीएवी कॉलेज से एमएससी मैथ्स की पढ़ाई उन्होंने पूरी कर ली थी। छोटी मोटी कंपनियों में उन्हें नौकरी मिल जाती थी लेकिन कुछ समय करने के बाद उनका मन नहीं लगता था। यहां तक कि उन्हें सरकारी नौकरियों को भी ज्वाइन करने के बहुत आसान ऑफर मिले। लेकिन वह अपने जीवन में कुछ बड़ा बदलाव चाहते थे, जिसके लिए वह कभी मेहनत करने से पीछे नहीं हटे। उसी दौरान वर्ष 2005 में संजय, नेहा के साथ विवाह सूत्र में बंधे और 2006 से उन्होंने रियल स्टेट के क्षेत्र में कदम रखा। वह शुरू में अपनी जान पहचान के लोगों की प्रॉपर्टी, मकान आदि बेचने का काम करने लगे। लेकिन कई लोगों ने उन्हें वादा करने के बाद भी कमीशन नहीं दी। इससे उनका मन तो टूटा लेकिन हिम्मत नहीं हारी।
कारमन स्कूल की कैंटीन चलाने के बाद आया बड़ा बदलाव
संजय कहते हैं मैंने हिम्मत नहीं हारी और कोशिश करता रहा। उसी दौरान मुझे कारमन स्कूल की कैंटीन चलाने का मौका मिला। मैंने वहां भी खूब मेहनत की। वहीं पर स्कूल के संचालक ‘ जीआईजी मैन ‘ के सहयोग से मेरे जीवन में प्रकाश का उदय हुआ और प्रॉपर्टी की एक डील में मुझे 15 लाख रुपए का लाभ मिला। उसका मैंने सही उपयोग किया और फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा। धीरे-धीरे में पूरी तरह से रियल एस्टेट के क्षेत्र में आ गया और अपने सहयोगियों के साथ फ्लैट्स का निर्माण शुरू करके बेचने शुरू किए।
जिस दिन तक मेरा चूल्हा जलेगा उस दिन तक तुम्हारा चूल्हा भी चलेगा
ऐसे शख्स के साथ कौन आदमी जीवन भर जुड़ कर काम नहीं करना चाहेगा जो उसके सुख-दुख में हमेशा साथ खड़ा रहता है। कोरोना के समय दो साल में जब हर काम धंधे चौपट हो गए तो हमारी टीम के भी कुछ सदस्यों को डर लगने लगा। कुछ कर्मचारी मेरे पास आए। उन्होंने पूछा ‘ सर अब क्या होगा ‘ ? मैंने उन्हें विश्वास दिलाया और कहा ‘ जिस दिन तक मेरा चूल्हा जलेगा उस दिन तक तुम्हारे घर में भी चूल्हा जलेगा।’ ईश्वर ने भी कृपा की और हमने कोरोना के दौरान ही 1500 फ्लैटों की बिक्री की। आज हमारी टीम का हर सदस्य पूरे दिल के साथ हमारे साथ काम कर रहा है।
ग्राहकों को अंत तक पूरी सर्विस उपलब्ध कराना ही प्राथमिकता
मैं इस बात को समझ गया था कि सिर्फ साधारण प्रॉपर्टी डीलर नहीं बनना है बल्कि अपने ग्राहकों को पूरी सर्विस अंत तक उपलब्ध करानी है। क्योंकि लोग आपके पास अपने जीवन की खून-पसीने की कमाई लेकर एक विश्वास के साथ आते हैं और आज तक हमने सैकड़ों की संख्या में फ्लैट बेच दिए हैं लेकिन कभी किसी के विश्वास को टूटने नहीं दिया। जो दिखाया वही दिया। क्योंकि जो व्यक्ति आपसे फ्लैट खरीदने के लिए आता है वह आपके ऊपर विश्वास करता है और आपका विश्वास देखता भी है। वह हर प्रकार से जांच पड़ताल करता है कि जहां पर वह ले रहा है वह जगह कैसी है सोसाइटी कैसी होगी वहां सुविधाएं किस प्रकार की मिलेंगी। उसके मन में एक शंका रहती है, जिसे हम दूर कर पूरी तरह संतुष्ट करते हैं।
सभी नियमों का करते हैं पालन
सबसे अच्छी बात रही सरकार ने रेरा का गठन किया। इसके बाद से ऐसे बिल्डर बाजार से गायब हो गए, जो ग्राहकों को गलत जानकारियां दे रहे थे। हम फ्लैट निर्माण के क्षेत्र में सरकार के हर नियमों का पालन कर रहे हैं। मैं स्वयं व्यक्तिगत रूप से इस पर विशेष ध्यान देता हूं। मुझे एमडीडीए के निर्माण से संबंधित सभी नियम इनकम टैक्स आदि की जानकारी पूरी तरह से कंठस्थ है। यह इसलिए भी जरूरी है क्योंकि ग्राहक आपके फ्लैटों के निर्माण की संख्या देखने के साथ-साथ आपके ऊपर विश्वास करके आता है। हमारी कंपनी पीपीए रिटेलर एंड डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड के नाम से है और एड्रेस इंडिया कंपनी के नाम से हम एक ही छत के नीचे नए बिल्डरों को भी काम करके देते हैं।
जमीन से लेकर कंस्ट्रक्शन तक का काम एक ही छत के नीचे
हम अपने फ्लैट बनाने के साथ-साथ उन बिल्डर्स का भी काम करते हैं, जिन्हें जमीन खरीद कर उस पर डिजाइन बनाना और कंस्ट्रक्शन करना होता है। वह सारा काम हम स्वयं उन्हें कंप्लीट करके देते हैं। यानी अंडर वन रूफ एवरीथिंग इज कंप्लीट। यही कारण है कि उत्तराखंड में हमारा कोई कंपीटीटर नहीं है। हम 112 ब्रोकर्स को साथ लेकर चल रहे हैं। अभी तक उत्तराखंड में कई बड़े फ्लैट निर्माण के प्रोजेक्ट पूरा करने के अलावा गाजियाबाद, मुरादाबाद और नोएडा में भी हमने काम की शुरुआत कर दी है।
प्रॉपर्टी डीलिंग में लानी है पारदर्शिता
हम अपने ग्राहकों के साथ पूरी पारदर्शिता रखते हैं। प्रोफेशनल तरीके से काम करते हुए रिजल्ट ओरिएंटेड कंपनी चलाते हैं। इसलिए रियल एस्टेट बिजनेस को काफी बेहतर ऑर्गेनाइज करने के लिए अपनी कंपनी में स्टाफ को ट्रेनिंग पर भी काफी जोर देते हैं। हमारे ग्राहकों को उनके सवालों पर हम पूरी तरह से संतुष्ट करते हैं और सभी प्रकार की जानकारी उपलब्ध कराते हैं।
परिवार को भी देते हैं पूरा समय
देहरादून की घोसी गली में पंजाबी परिवार के साथ पल कर बड़े हुए संजय गर्ग की पत्नी नेहा गर्ग और तीन बेटे हैं। उनकी पत्नी नेहा टैरो कार्ड रीडर और रेकी एक्सपर्ट भी है और विश्व भर में उनके फॉलोअर हैं। संजय गर्ग सुबह पत्नी के साथ एक घंटा बातचीत करते हैं और एक्सरसाइज के बाद अपनी दिनचर्या की शुरुआत करते हैं। संजय का मानना है कि जीवन में ईमानदारी और नेक नियति के साथ काम करते रहो। सफलता अपने आप आपके कदम चूमती है।
——- इंद्रेश कोहली ——