देहरादून। कोरोना महामारी से हर तरफ त्राहिमाम-त्राहिमाम हो रहा है। जान बचाने का संकट तो बन ही गया है। लेकिन आर्थिक रूप से भी लोगों के सामने हर रोज मरने जैसी स्थिति उत्पन्न होती जा रही है। इस मुश्किल घड़ी में समाज के हर तबके के साथ-साथ कई वकीलों के सामने भी रोजी-रोटी जुटानी मुश्किल हो रही है। क्योंकि अदालते बंद हैं और आगे भी कोर्ट बंदी के आदेश जारी रह सकते हैं। ऐसे में वकीलों के सामने अपने परिवारों का पालन-पोषण करना बहुत मुश्किल हो गया है। आज देहरादून के कुछ अधिवक्ताओं ने हाईकोर्ट में ऑनलाइन जनहित याचिका दायर कर उन्हें आर्थिक रूप से मदद करने की मांग की है।
महामारी से उत्पन्न आर्थिक संकट में देश के साथ-साथ, उत्तराखंड में भी युवा अधिवक्ताओं के लिए आर्थिक रूप से संकट उत्पन्न कर दिया है, जिसके परिणाम स्वरूप युवा अधिवक्ताओं के लिए रोजी-रोटी का संकट उत्पन्न हो गया है। इसी के मद्देनजर युवा अधिवक्ताओं के आर्थिक संकट को देखते हुए देहरादून के बार काउंसिल पद के पूर्व प्रत्याशी एवम् युवा अधिवक्ताओं के लिए अधिवक्ता अमित वर्मा एवं अधिवक्ता सुरेश चंद्र जोशी याचिकाकर्ता के रूप में द्वारा अधिवक्ता उत्तराखंड उच्च न्यायालय में शक्ति सिंह द्वारा आज 1 मई 2021 को मुख्य न्यायाधीश उत्तराखंड उच्च न्यायालय में पी*आई*एल ऑनलाइन दाखिल की गई है, जिसके बाबत आपदा अधिनियम 2005 की धारा 13 के अनुसार उत्तराखंड राज्य सरकार से यह मांग की गई है कि आर्थिक संकट से जूझ रहे प्रदेश के युवा अधिवक्ताओं के लिए अविलंब धनराशि 50000 से 100000 तक बिना ब्याज के ऋण स्वरूप जारी किया जाएं।
पी आई एल को तैयार करने एवम विधिक विचार विमर्श सहयोग हेतु उत्तराखंड उच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता महेंद्र पाल सिंह, अधिवक्ता शिवांगी गंगवार और अधिवक्ता अमित भट्ट, मनोज जोशी शामिल रहे।