देहरादून। कोरोना की शुरुआत के बाद से होटल उद्योग अभी तक पटरी पर नहीं आ पाया है। उत्तराखंड में इस बार होटल व्यवसायियों को अच्छा काम होने की उम्मीद जगी थी। लेकिन हर रोज प्रदेश और देश भर से आ रहे कोरोना मरीजों के आंकड़ों ने होटल व्यवसाय पर बुरा असर डाला है। उस पर देश में होने जा रहे पांच राज्यों के चुनाव के कारण भी होटलों में आने वाले पर्यटकों और यात्रियों की संख्या में अभी से प्रभाव पड़ना शुरू हो गया है। काफी संख्या में पर्यटकों ने उत्तराखंड के होटलों में बुकिंग कैंसिल कर आई है।
राजधानी देहरादून से अगर हम बात की शुरुआत करें तो यहीं से दिखाई दे जाता है जौली ग्रांट एयरपोर्ट के आसपास के होटलों गेस्ट हाउस से लेकर शहर में रेलवे स्टेशन के नजदीक होटलों और राजपुर रोड जैसे क्षेत्र में भी होटलों में इस समय पर्यटकों की संख्या ना के बराबर है।
होटल व्यवसायियों के लिए अपने रोजमर्रा के खर्चे भी निकालने इस समय काफी भारी पड़ रहे हैं। खास बात यह है कि पहाड़ों पर होने वाली बर्फबारी के तुरंत बाद एक-दो दिन तक पर्यटन व्यवसाय खूब चलता है। लेकिन उसके तुरंत बाद से उल्टा असर पड़ना शुरू हो जाता है। क्योंकि बर्फबारी देखने वाले पर्यटक वापस लौट चुके होते हैं और उन क्षेत्रों में सिर्फ जमा मिलता है पाला, जहां पर सड़क दुर्घटनाएं होने की आशंकाएं बढ़ जाती हैं और इस बार तो जबरदस्त बर्फबारी के कारण पाले की स्थिति काफी मजबूत है, जिस कारण पर्यटकों का लगातार आना टूरिस्ट प्लेस पर मुश्किल हो रहा है।
पहाड़ के दूरस्थ इलाके तो इस समय बर्फ से ढक ही जाते हैं लेकिन मसूरी और नैनीताल जैसे क्षेत्रों में पर्यटकों को जाम की स्थिति से भी दो-चार होना पड़ता है। यह भी एक कारण बन जाता है, जिससे पर्यटक इन स्थानों पर पहुंचने से बचते हैं।
पर्यटन व्यवसाय पर नेगेटिव असर बढ़ने का दूसरा पहलू यह है कि कोरोना मरीजों के घटते-बढ़ते आंकड़े भी लगातार उत्तराखंड में आने वाले यात्रियों और पर्यटकों के पैर रोक रहे हैं। हालांकि कोरोना से पहले जैसी घातक स्थिति में नहीं है उसके बावजूद लोग कोई भी रिस्क लेना नहीं चाह रहे हैं।
इस संबंध में होटल इंडस्ट्री से जुड़े होटल प्रभु के संचालक रोहित गुप्ता का भी मानना है कि वर्तमान में होटल उद्योग पर काफी बुरा प्रभाव पड़ा है। बाहर से आने वाले पर्यटकों ने काफी संख्या में अपनी बुकिंग कैंसिल की है।
रोहित कहते हैं चाहे होटल में आने वाले यात्रियों की संख्या बढ़े या घटे। होटल के खर्चे लगातार करने पड़ते हैं जिसकी पूर्ति लगातार बुकिंग होने पर ही होती है। इसलिए जब तक कोरोना जैसी महामारी पर पूरी तरह नियंत्रण नहीं होता ऐसी मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है।