देहरादून। उक्रांद नेता एडवोकेट एनके गुसाईं ने यूजेवीएन लिमिटेड की अध्यक्ष राधा रतूडी को पत्र भेजकर कहा कि उत्तराखंड जल विद्युत निगम लिमिटेड के तीन पावर प्रोजेक्ट के मेंटेनेंस कार्यों में वित्त वर्ष 2016 से 2019 के दौरान छिबरो, डाकपत्थर, खोदरी पावर प्रोजेक्ट के मेंटेनेंस कार्यों में अनियमितता की गई, जिसका उल्लेख माननीय विध्युत नियामक आयोग उत्तराखण्ड के आदेश 2016 से 2019 के पृष्ठ संख्या 39 से पृष्ठ संख्या 46 पर दर्ज है।
समाचर पत्रों के माध्यमों जानकारी प्राप्त हुई कि उपरोक्त अनियमितता के कारण राज्य व निगम को वित्तीय नुकसान हुआ, जिसके लिए तत्कालीन निदेशक परिचालन श्री बीसीके मिश्रा के खिलाफ जांच की गई है अथवा जांच जारी है।
उपरोक्त सभी कार्य एकल टेंडर प्रक्रिया के तहत करवाये गए है , ऐंसे में एकल टेंडर प्रक्रिया में किसी भी कार्य को करवाने के लिए सम्बंधित विभाग या निगम, अपनी सीपीसी कमेटी द्वारा कार्य के लिए दर तय करता है।
सूचना के अधिकार अधिनियम के माध्यम से यह जानकारी मिली है कि तत्समय सीपीसी कमेटी में तत्कालीन प्रबंध निदेशक एसएनवर्मा , निदेशक परिचालन श्री बीसीके मिश्रा, निदेशक प्रोजेक्ट संदीप सिंघल, निदेशक प्रोजेक्ट /परिचालन पुरुषोत्तम सिंह, निदेशक वित्त एलएम वमाज् व महाप्रबंधक (लेखा) सुधाकर बडोनी थे। लेकिन आरोप/जांच सिर्फ तत्कालीन निदेशक परिचालन बीसीके मिश्रा की ही गईं है।
ऐसे में लोकप्रिय उत्तराखण्ड सरकार की छवि धूमिल होती है कि सेवानिवृत्त अधिकारी की ही जांच क्यों की जा रही है, जबकि अन्य सभी संबंधित सीपीसी सदस्य उसी निगम के अति महत्वपूर्ण पदों पर कार्यरत है।
अतः आपसे निवेदन है कि उत्तराखंड राज्य के जनहित में न्यायोचित कार्य्वाही करके दोषियों को दंड देते हुये पदमुक्त करने की कृपा करेंगे, जिससे सरकार की ईमानदारी के प्रति राज्य के निवासियों में विस्वास बना रह सके व राज्य को आर्थिक नुकसान से बचाया जा सके।